बन गया सुप (यूरोप की लोक कथा )

पूरानी बात है। एक यात्री गांव-
गांव घूम रहा था। एक बार वह
ऐसे गांव में आया जहां के लोग
मंदी और गरीबी की मार झेल रहे थे।
वहां लोग भी अपने पास यात्री को
रखने से बच रहे थे। उन्हें डर था कि
उसे भी अपने में से खिलाना पड़ेगा
जब यात्री को यह पता चला तो
उसने बताया कि उसे किसी से
खाने-पीने के लिए कुछ नहीं
चाहिए। वही सबको बेहतरीन सूप
बनाकर पिलाएगा। यह बात सुनकर
लोग उसे संदेह और उत्सुकता से
देखने लग। उसने एक गली के बीच
में कुछ लकड़ियां रखीं और एक
डिब्बे में पानी उबालने लगा। बड़ा
रस लेते हुए धीरे-धीरे उसने अपने
थैले से पत्थर निकाले और उन्हें
पानी में डाल दिया। वह सूप के
फायदे गिनाते हुए बोला 'सूप
लाजवाब बन जाएगा अगर उसमें
थोड़ी-सी गोभी मिला दी जाए।

' यहसुनकर एक व्यक्ति गोभी ले आया
वह हर बार सूप का फायदा गिनाता
और धीरे-धीरे लोग गाजर प्याज
चुकंदर आदि लाते रहे।अंत में इतना
सूप बन गया कि सभी लोगों ने
पीया।
सीख-जिसके पास बुद्धिबल हो,
वह बंजर जमीन पर भी फूल खिला
सकता है।

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